关于诚信的诗词(22首)
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泛柏舟之河中兮,忽亻宅傺而内结。
含薄怒以惓惓兮,心郁郁而坚节。
念两髦之我仪兮,矢靡他而志诀。
持仁义以内修兮,遇纬繣而肠绝。 -
地德薄。
昆丘峻。
扬羽翟。
鼓应朄。
出尊祗。
展诚信。
招海渎。
罗岳镇。
惟福祉。
咸昭晋。
泛柏舟之河中兮,忽亻宅傺而内结。
含薄怒以惓惓兮,心郁郁而坚节。
念两髦之我仪兮,矢靡他而志诀。
持仁义以内修兮,遇纬繣而肠绝。
地德薄。
昆丘峻。
扬羽翟。
鼓应朄。
出尊祗。
展诚信。
招海渎。
罗岳镇。
惟福祉。
咸昭晋。